jaipur.: वैश्विक पेशेवर सेवाएं और कंसल्टेंसी देने वाली कंपनी एक्सेंचर कंपनी में महिला-पुरुष कर्मचारियों के बीच विविधता के अपने लक्ष्य को लगभग पूरा करने के स्तर पर पहुंच चुकी है और देश में कंपनी के कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी करीब 45 फीसदी तक है। एक्सेंचर का मकसद, वैश्विक स्तर पर महिला-पुरुष कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व बराबरी के स्तर तक ले जाना है। भारत में कंपनी के वरिष्ठ नेतृत्वकर्ता पदों (प्रबंध निदेशकों) पर 24 प्रतिशत महिलाएं हैं। फिलहाल देश में कंपनी के 250,000 से अधिक कर्मचारी हैं। 2017 में कंपनी ने 2025 तक महिला-पुरुष कर्मचारियों का 50:50 अनुपात रखने का लक्ष्य निर्धारित किया था। अपने महिला-पुरुष कर्मचारियों के लक्ष्यों के बारे में बताते हुए, भारतीय मार्केट यूनिट के प्रमुख वरिष्ठ प्रबंध निदेशक पीयूष सिंह कहते हैं, ‘हमने अपनी समकालीन कंपनियों के मुकाबले काफी पहले ही महिला-पुरुष कर्मचारियों के बीच समानता के लक्ष्य को तय किया था। हम अपने वैश्विक लक्ष्य से बहुत दूर नहीं हैं और हमारा उद्देश्य पिरामिड के सभी स्तरों पर महिला-पुरुष कर्मचारियों के बीच समानता लाना है जो निदेशक मंडल के स्तर से लेकर कार्यबल स्तर तक नजर आए।’
भारत में अपनी कारोबारी रणनीति के बारे में विस्तार से बताते हुए सिंह कहते हैं कि यह एक महत्त्वपूर्ण बाजार है। कंपनी ने यहां काम करने के लिए कुछ प्रमुख उद्योग क्षेत्रों की पहचान की है। इनमें खुदरा, प्राकृतिक संसाधन, ऊर्जा, उपभोक्ता रसायन, बैंकिंग, दूरसंचार, वाहन क्षेत्र शामिल हैं। वह कहते हैं, ‘हम उसी उद्योग को चुनते हैं जिसमें हम काम करना चाहते हैं साथ ही हम उस क्षेत्र में गहरी भूमिका निभाना चाहते हैं। हम उन संगठनों के साथ काम करने के लिए ज्यादा इच्छुक होते हैं जिनके साथ हमारी लंबे समय से साझेदारी है।’
एक्सेंचर को कुछ प्रमुख अनुबंध मिले हैं। उदाहरण के तौर, खुदरा क्षेत्र में यह ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए नेस्ले इंडिया, हिंदुस्तान लीवर और शॉपर्स स्टॉप के साथ काम कर रही है। उसने बैंक ऑफ बड़ौदा और आरबीएल जैसे बैंकों के साथ भी करार किए हैं और एयरटेल के 5 जी लैब के साथ भी इसने साझेदारी की है। इसके अलावा, वह कोल इंडिया के साथ एक बड़े डिजिटल बदलाव के लिए भी काम कर रही है।
सिंह का कहना है कि उनके आकलन के मुताबिक लगभग सभी भारतीय कंपनियों को अपने डिजिटल स्वरूप के लिए पूंजीगत खर्च में सालाना 5-7 फीसदी की बढ़ोतरी करने की जरूरत है। जो कंपनियां इस क्षेत्र में ज्यादा पीछे हैं उन्हें अपने खर्च में दो अंकों की बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है। सिंह कहते हैं, ‘यह लागत पाई चार्ट में एक स्थायी बदलाव होना चाहिए लेकिन अन्य क्षेत्रों में लागत में अक्षमताओं को दूर किया जा सकता है इसलिए कुल लागत में कोई वृद्धि नहीं हुई है।’