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भारत में आयुर्वेद ब्रांडों का बढ़ता जलवा

jaipur: प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाने-पीने के सामानों, टिकाऊ फैशन, प्राकृतिक सामग्री से बने सौंदर्य उत्पाद का बाजार हमेशा ही रहा है और महामारी की वजह से इन बाजारों का दायरा और बड़ा ही हुआ है। सौंदर्य प्रसाधनों में भी ब्रांडों से आयुर्वेद उत्पादों की अधिक मांग दर्ज की गई है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, मिंत्रा के एक प्रवक्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘पिछले दो सालों में हमने आयुर्वेद वाले उत्पादों के प्रति दिलचस्पी में अच्छी वृद्धि देखी है जो स्वच्छ, जैविक और प्राकृतिक सौंदर्य की दिशा में एक बड़े बदलाव को दर्शाता है। इस बदलाव की वजह से प्लेटफॉर्म पर मांग में वृद्धि हुई है और महामारी बढऩे के साथ ही इसमें भी तेजी आई है। नतीजतन उपभोक्ता भी अपनी खरीद को लेकर अधिक सचेत हुए हैं और वे भी प्राकृतिक एवं बेहद प्रभावी सामग्री की तलाश में हैं।’ रिसर्च ऐंड मार्केट्स की 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में आयुर्वेद बाजार 300 अरब रुपये तक का है और उम्मीद है कि यह 2024 तक 710.87 अरब के स्तर को छू लेगा। भारत में इसकी मांग अधिक बनी हुई है और त्वचा तथा बालों की देखभाल के लिए आयुर्वेदिक समाधानों की पेशकश करने वाले ब्रांडों की तादाद बढऩे के साथ ही ‘संपूर्ण सौंदर्य अभियान’ में भी वैश्विक दिलचस्पी बढ़ रही है।

वर्ष 2017 में 4.5 अरब डॉलर मूल्य का वैश्विक आयुर्वेदिक बाजार 2026 तक 16-14 प्रतिशत की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से 14.9 अरब डॉलर तक आने की उम्मीद है। इसी तरह के रुझान को भांपते हुए फॉरेस्ट एसेंशियल्स पिछले साल अक्टूबर में ब्रिटेन में ई टेलर लूक फैंटास्टिक के लॉन्च के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतरी। फॉरेस्ट एसेंशियल्स के देश के 29 शहरों में 100 दुकानों का नेटवर्क है और इसके कार्यकारी निदेशक समर्थ बेदी कहते हैं, ‘ब्रिटेन हमारे सबसे बड़े बाजारों में से एक है जिसके पास पहले ही आयुर्वेद की जानकारी है और यह इसकी अहमियत को समझता भी है। हमारी लॉन्च रणनीतियों का मकसद मौजूदा भारतीय प्रवासियों के साथ हमारे ब्रांड गठजोड़ को मजबूत करना और व्यापक स्तर पर ग्राहकों तक हमारी पहुंच बनाने के लिए सोशल मीडिया हैंडल पर ऑनलाइन मौजूदगी के लिए किया गया था।’

आने वाले वर्षों में बेदी अगले एक या दो साल में ब्रिटेन में खुदरा दुकानों के माध्यम से अपनी उपस्थिति बनाने के अलावा, पश्चिम एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया और अमेरिका में विस्तार करने की योजना बना रहे हैं। इससे पहले 2008 में न्यूयॉर्क के एस्टी लॉडर कंपनीज ने 2000 में स्थापित इस कंपनी में 20 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी।  2002 में लॉन्च हुए एक अन्य देसी लक्जरी ब्यूटी ब्रांड कामा आयुर्वेद ने भी महामारी के दौरान बिक्री में वृद्धि दर्ज की है। कामा आयुर्वेद के सह-संस्थापक विवेक साहनी कहते
हैं, ‘हम मुख्य रूप से एक ऑफलाइन ब्रांड थे लेकिन महामारी के कारण हमें अपनी ऑनलाइन मौजूदगी बनानी पड़ी। इन दो वर्षों में ब्रांड की मौजूदगी बढ़ाने में मदद मिली है और हमें एक नया तथा युवा ग्राहक आधार मिला है। महामारी से पहले भी हमारी बिक्री का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा ऑनलाइन ही था और अब यह लगभग 75 प्रतिशत हो चुका है।’ 2019 में कामा आयुर्वेद ने स्पेनिश फैशन एवं फ्रैगरेंस कंपनी ‘पुज’ का 100 करोड़ रुपये (1.4 करोड़ डॉलर) का निवेश देखा था। साहनी कहते हैं, ‘जब हमने (सिर्फ 10 उत्पादों के साथ) लॉन्च किया था तब हमने देखा कि लोग क्या इस्तेमाल करते हैं, वे किस उत्पाद को चाहते हैं और तब हमें पता चला कि यह मुख्य रूप से त्वचा और बाल से जुड़ा है। एक बार जब आपको पता चल जाता है कि आपकी त्वचा या बालों के लिए क्या कारगर है तब आप इसे बदलना नहीं चाहते हैं।’

इसी जानकारी के साथ ब्रांड ने जुलाई 2021 में अपने भ्रृंगादि हेयर क्लींजर को लॉन्च किया और यह कुमकुमादी के अलावा बेस्ट सेलर बन गया है। साहनी का कहना है कि वे अब छोटे शहरों में जाकर, वहां अधिक स्टोर खोलने पर विचार कर रहे हैं और उम्मीद है कि एक साल में या इसके बाद भारत के बाहर के बाजारों की खोज शुरू कर दी जाएगी। तीन साल पहले अपने डी2सी आयुर्वेद ब्रांड, वेदिक्स की शुरुआत से पहले इसके संस्थापकों चैतन्य नालन, संग्राम सिम्हा और वीरेंद्र शिवहरे को यह पता था कि एक उत्पाद सब पर फिट बैठेगी, यह अवधारणा काम नहीं करेगी। इसी वजह से वेदिक्स ने ग्राहकों के दोष अध्ययन के लिए बालों और खोपड़ी की बनावट जैसे विवरणों के अलावा उनकी भूख, शरीर की बनावट और उन्हें कितना पसीना आता है इससे जुड़े विस्तृत सवालों के जवाब पाने के बाद 49 जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करके कम से कम 40 संयोजन वाले उत्पाद की पेशकश की है।

वेदिक्स के कारोबार प्रमुख, जतिन गुजराती कहते हैं, ‘हमने बिक्री में लगातार बढ़ोतरी देखी है और ग्राहकों का आधार 12 लाख हो गया है और ऑर्डर में 50 फीसदी दोहराने की दर है।’ वेदिक्स और स्किनक्राफ्ट को बढ़ावा देने वाले इंकनट ने वर्ष 2020 में आरपीएसजी वेंचर्स से ए सीरीज के चरण में 40 लाख डॉलर जुटाए थे। वेदिक्स, अब 2022 में अमेरिका, पश्चिम एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में एमेजॉन और डी2सी के साथ मंच साझेदारी के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतरने की योजना बना रही है। गुजराती कहते हैं, ‘निश्चित तौर पर अब इलाज वाली स्वास्थ्यसेवा के बजाय रोकथाम वाली स्वास्थ्य सेवा पर जोर है।’

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