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एनबीएफसी पर बैंकों जैसी सख्ती

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए आज त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) का ढांचा पेश किया। इसके तहत अगर किसी एनबीएफसी के प्रमुख वित्तीय मानक निर्धारित सीमा से नीचे आते हैं तो उन पर सख्त बंदिशें लगाई जाएंगी। एक तरह से बड़ी एनबीएफसी को निगरानी और नियमन के लिहाज से बैंकों के अनुरूप लाया गया है।

एनबीएफसी के लिए पीसीए व्यवस्था 1 अक्टूबर, 2022 से लागू होगी और इसके लिए संबंधित एनबीएफसी की 31 मार्च, 2022 की वित्तीय स्थिति को आधार माना जाएगा। यह नियम जमा स्वीकार करने वाली सभी एनबीएफसी तथा केंद्रीय बैंक के नियमन के अनुसार मध्य, ऊपरी और शीर्ष स्तर की अन्य बड़ी एनबीएफसी पर लागू होगा।

हालांकि 1,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ जमा स्वीकार नहीं करने वाली एनबीएफसी, प्राथमिक डीलर, सरकारी एनबीएफसी और आवास वित्त कंपनियां इसके दायरे में नहीं आएंगी। इसका मतलब यह हुआ कि यह व्यवस्था गिनी-चुनी एनबीएफसी पर ही लागू होगी और तकरीबन 10,000 एनबीएफसी इसके दायरे से बाहर रहेंगी। हालांकि जरूरी लगने पर केंद्रीय बैंक किसी भी आकार की एनबीएफसी पर कार्रवाई कर सकता है।

आरबीआई का कहना है कि एनबीएफसी क्षेत्र के बढ़ते दायरे और वित्तीय तंत्र के अन्य वर्गों के बीच काफी जुड़ाव हो गया है, जिसकी वजह से एनबीएफसी के लिए पीसीए व्यवस्था लाना जरूरी हो गई थी। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इससे एनबीएफसी के निगरानी उपायों को आगे और मजबूती मिलेगी।

आरबीआई ने कहा, ‘पीसीए का मकसद सही समय पर निगरानी करने के लिए दखल सुनिश्चित करना और  समयबद्घ तरीके से सुधारात्मक उपाय लागू करना है ताकि संबंधित एनबीएफसी की वित्तीय सेहत दुरुस्त हो सके।’ इस कदम का मकसद बाजार में प्रभावी अनुशासन कायम करना भी है।

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