नई दिल्ली . कारोबारों द्वारा तकनीक को तेजी से अपनाया गया है, लेनदेन, विलय एवं अधिग्रहण क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ी हैं और नई-नई यूनिकॉर्न (1 अरब डॉलर से अधिक मूल्य वाली स्टार्टअप कंपनी) भी तेजी से खड़ी हो रही हैं। इस कारण चार बड़ी पेशेवर सेवा नेटवर्क कंपनियों (बिग फोर) के लिए 2021 सबसे तेज वृद्घि वाला साल और अक्टूबर सबसे तेज वृद्घि वाला महीना साबित हुआ है। भारत में केपीएमजी के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और अध्यक्ष अरुण एम कुमार ने कहा, ‘हम महामारी की पहली दो लहरों के बाद वृद्धि में वाकई तेजी देख रहे हैं। दबी हुई मांग में एक बार फिर तेजी आई है। यह वृद्धि लगातार बनी हुई है।’
हालांकि इन कंपनियों की वृद्धि में परामर्श और वित्तीय सलाहकार क्षेत्र का सबसे ज्यादा योगदान रहा और बिग फोर का कारोबार ऑडिट और कर से लेकर जोखिम सलाहकार सेवाओं तक सभी क्षेत्र में बढ़ गया है । उद्योग के अनुमान के अनुसार इस साल अब तक दो अंकों की वृद्धि हुई जो 20 प्रतिशत से अधिक है।
ईवाई इंडिया के अध्यक्ष और सीईओ राजीव मेमानी का कहना है, ‘यह विश्व स्तर पर और विशेष रूप से भारत में पेशेवर सेवा कंपनियों के लिए सबसे मजबूत वर्षों में से एक अहम साल रहा है । यह वास्तव में शानदार तेजी है।’
महामारी की वजह से प्रौद्योगिकी और कृत्रिम मेधा के इस्तेमाल पर जोर बढ़ा, जिससे कंपनियों को इसे अपनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। डेलॉयट इंडिया के एक पार्टनर ने कहा, ‘कृत्रिम मेधा अब हर बोर्डरूम में प्राथमिकता बन गई है। पहले इस पर सैद्घांतिक बातचीत ही ज्यादा होती थी।’
मिसाल के तौर पर पिछले साल एक प्रवर्तक द्वारा संचालित टायर कंपनी ने रबर की कीमतों का अंदाजा लगाने के लिए एनालिटिक्स इंजन टूल का इस्तेमाल करने के लिए डेलॉयट की सेवाएं लीं। कंपनियां महामारी के बाद के इस दौर में ग्राहकों की मानसिकता में बदलाव देख रही हैं, जिनमें से कई न सिर्फ लचीली आपूर्ति शृंखला तैयार करने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना चाहती हैं बल्कि जोखिम कम करने के साथ ही उनके प्रदर्शन को अनुकूल बनाने और नई सेवाएं तैयार कर रही हैं। कुमार ने कहा, ‘हमारी सभी सेवाओं में डिजिटल और एनालिटिक्स होगा।’
प्रौद्योगिकी को एक तरफ भी कर दें तो शेयर बाजार के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने की वजह से आईपीओ और विलय-अधिग्रहण के माहौल में मजबूती आई और इससे पेशेवर सेवा कंपनियों की चमक भी बढ़ गई। इसके साथ ही उन स्टार्टअप कंपनियों में उभार देखा गया जिनका मूल्यांकन एक अरब डॉलर से अधिक है। कंपनियों का कहना है कि यह सौदों के लिए सबसे अधिक सक्रियता वाला समय है।
विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी ने कई कंपनियों को अपने कारोबारी मॉडलों दोबारा मूल्यांकन करने के लिए मजबूर किया है और वे इस पूंजी का इस्तेमाल रणनीतिक अधिग्रहण करने, अपने मौजूदा परिचालनों का मूल्य बढ़ाने या विशेष रूप से प्रौद्योगिकी में नई क्षमता हासिल करने के लिए पुनर्गठन पर जोर दे रहे हैं।
मेमानी कहते हैं, ‘कई देशों में महामारी के दौरान नकदी सुगम बन गई, जिस कारण पूंजी की उपलब्धता बढ़ी है जो पूंजी बाजारों में जा रही है।’ कुमार कहते हैं, ‘निश्चित रूप से न सिर्फ भारत में बल्कि विश्व स्तर पर महामारी का प्रभाव कारोबार के पुनर्गठन पर पड़ा है।’
महामारी की वजह से इलेक्ट्रिक वाहनों, अक्षय एवं पुनर्नवीकरण वाली हरित तकनीक पर अधिक जोर बढऩे के साथ ही पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासिक (ईएसजी) पहलुओं पर ज्यादा जोर बढ़ा है। कंपनियों का कहना है कि ग्राहकों की जरूरतों की वजह से ईएसजी कारोबार आगे बढ़ता रहेगा।