नई दिल्ली. तीनों नए कानून कृषि निरस्त किए जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद किसान संगठनों ने अपना फिलहाल आंदोलन जारी रखने का निर्णय किया है। किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) भविष्य की रणनीति तय करने के लिए 27 नवंबर को बैठक करेगा। ऐसी खबर आ रही है कि एसकेएम ने सरकार को कुछ मांगों की एक सूची सौंपने का निर्णय लिया है। इनमें फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी प्रावधान की मांग भी शामिल है।
इस बीच केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस विषय पर निर्णय लिया जा सकता है। अधिकारियों ने कहा कि इसके बाद संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में तीनों कृषि कानून निरस्त करने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू की जाएगी। शीतकालीन सत्र इस महीने के अंत में शुरू हो रहा है।
एसकेएम आगे के कदमों पर विचार करने के लिए 27 नवंबर को एक और बैठक करेगा। दूसरी तरफ 29 नवंबर को किसानों की संसद तक निर्धारित यात्रा तय कार्यक्रम के अनुरूप ही होगी। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने आज एक बैठक के बाद सिंघू बॉर्डर पर संवाददातों से बातचीत में कहा, ‘हमने कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा पर चर्चा की। इसके बाद कुछ फैसले लिए गए। एसकेएम के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम पहले की तरह ही जारी रहेंगे। 22 नवंबर को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 नवंबर को सभी सीमाओं पर सभा और 29 नवंबर को संसद तक मार्च होगा।
प्रदर्शन कर रहे किसान संघों के मुख्य संगठन एसकेएम ने आगे के कदमों पर फैसला लेने के लिए आज सुबह बैठक की। इनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का मुद्दा और आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान संसद तक प्रस्तावित ट्रैक्टर यात्रा शामिल हैं।
अब एमएसपी पर ध्यान तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सड़कों पर भले ही लाखों किसान एकजुट हो गए थे, लेकिन सरकार देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तंत्र के प्रबंधन के तरीके में कुछ बड़े बदलाव की दिशा में बढ़ चुकी थी। सूत्रों ने कहा कि आगे भी इन सुधारों का पूरा ध्यान इस बात को सुनिश्चित करने पर केंद्रित रहेगा कि केवल असली किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिले और उनमें से अधिकतम किसान खरीद के दायरे में आएं। प्रदर्शनकारी किसानों ने भी कृषि विधेयकों के संबंध में गारंटीयुक्त एमएसपी को अपनी लड़ाई का अगला प्रमुख केंद्र बिंदु बनाया हुआ है। संगठनों ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि उचित एमएसपी के लिए वैधानिक गारंटी की उनकी मांग मौजूदा आंदोलन का एक अभिन्न हिस्सा है और जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो जाती, तब तक विरोध जारी रहेगा।