मुंबई: भले ही विदेशी ब्रोकरेज ने भारतीय शेयरों को लेकर सतर्कता बरतने की चेतावनी दी हो, लेकिन देसी ब्रोकेरज को अगले एक साल के दौरान बाजार के दो अंकों में प्रतिफल देने की उम्मीद है। देसी ब्रोकरेज के बिज़नेस स्टैंडर्ड के पोल में आधे भागीदारों ने कहा कि उन्हें अगले एक साल के दौरान बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी 10 से 15 फीसदी चढऩे की उम्मीद है। अन्य 14 फीसदी ने कहा कि यह बढ़त 15 फीसदी से भी अधिक रह सकती है। सेंसेक्स आज 60,008 और निफ्टी 17,899 पर बंद हुआ। मौजूदा स्तरों से 15 फीसदी बढ़ोतरी का मतलब है कि सेंसेक्स 70,000 के आसपास पहुंच जाएगा, जबकि निफ्टी 20,500 से आगे निकल जाएगा।
उदाहरण के लिए ऐक्सिस सिक्योरिटीज ने निफ्टी का दिसंबर 2022 का लक्ष्य 20,200 तय किया है। ऐंजल का निफ्टी का लक्ष्य 20,000 है। आईआईएफएल का अनुमान है कि आर्थिक सुधार और आमदनी में बढ़ोतरी की मदद से अगले एक साल में निफ्टी 20,000 से 21,000 के दायरे में रहेगा।
पोल में करीब 80 फीसदी भागीदारों ने कहा कि इस समय बाजार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) नहीं बल्कि खुदरा निवेशकों और म्युचुअल फंडों की बदौलत चढ़ रहा है। एफपीआई ने अक्टूबर से 2.5 अरब डॉलर से अधिक के शेयर बेचे हैं, लेकिन इस बिकवाली से बाजार में महज तीन फीसदी गिरावट आई है।
ज्यादातर भागीदारों का मानना है कि अगले एक साल के दौरान शेयर सबसे बेहतर परिसंपत्ति है। एक छोटे हिस्से ने कहा कि रियल एस्टेट, सोने और क्रिप्टोकरेंसी में प्रतिफल सबसे ज्यादा आकर्षक हो सकता है। हालांकि ज्यादातर का द्वितीयक बाजार को लेकर तेजडिय़ा रुख है, लेकिन उन्हें प्राथमिक बाजार को लेकर संशय है। उनमें से करीब आधों ने कहा कि उन्हें आईपीओ बाजार में कुछ जोखिम नजर आ रहा है। उनमें से 20 फीसदी ने कहा कि यह संभव है कि हम नई पेशकश के मामले में बुलबुले की तरफ बढ़ रहे हों। करीब 30 फीसदी को ऐसी कोई चिंता नजर नहीं आती है।
रोचक बात यह है कि अब बाजार भागीदारों में कोविड-19 और तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर कोई चिंता नहीं है। ज्यादातर का मानना है कि निराशाजनक आमदनी या नीतिगत सामान्यता की वजह से बाजार में तेजी का सिलसिला थम सकता है। ज्यादातर 64 फीसदी का मानना था कि बाजार में अगले एक साल के दौरान कहीं-कहीं मामूली गिरावट के साथ मजबूती का सफर जारी रहेगा। हालांकि किसी ने भी यह नहीं माना कि बाजार इस साल के प्रदर्शन को दोहरा सकता है। इस साल अब तक बेंचमार्क सूचकांक 30 फीसदी चढ़ चुके हैं। जब भागीदारों से यह पूछा गया कि क्या भारतीय कंपनियां आमदनी के अनुमानों को हासिल करने में सफल रहेंगी तो जवाब मिला जुला रहा। 43 फीसदी ने कहा कि अनुमान हासिल हो जाएंगे, जबकि 36 फीसदी ने नहीं में जवाब दिया।