Jaipur: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) का पहला प्रायोगिक परीक्षण अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में हो सकता है। यह बात केंद्रीय बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज भारतीय स्टेट बैंक के सालाना बैंकिंग एवं आर्थिक सम्मेलन में कही।
आरबीआई के भुगतान एवं निपटान विभाग के मुख्य महाप्रबंधक पी वासुदेवन ने कहा, ‘मेरा मानना है कि कहीं यह कहा गया था कि अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक एक प्रायोगिक परीक्षण शुरू किया जा सकता है, इसलिए हमें इसे लेकर बहुत उम्मीद हैं।’
केंद्रीय बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने पहले कहा था कि सीबीडीसी पर काम अग्रिम चरण में पहुंच गया है और इसकी प्रायोगिक शुरुआत दिसंबर में हो सकती है। लेकिन नियामक ने अभी तक किसी समयसीमा का वादा नहीं किया है। आरबीआई के सीजीएम ने भी कहा है कि सीबीडीसी को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए।
वासुदेवन ने कहा, ‘हम इस काम में जुटे हैं और सीबीडीसी से संबंधित मुद्दों और बारीकियों की पड़ताल कर रहे हैं। यह कहना आसान चीज नहीं है कि सीबीडीसी कल से एक आदत हो सकती है।’ उन्होंने कहा कि सीबीडीसी की अहम भूमिका हो सकती है। यह इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे कैसे क्रियान्वित किया जाता है।
वासुदेवन ने कहा, ‘लेकिन उसके लिए हमें बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। हमें इस बारे में विचार करना होगा कि क्या यह एक थोक खंड के रूप में हो या खुदरा खंड के रूप में। साथ ही इसके उद्देश्यों पर भी विचार हो। हम असल में कैसे विधिमान्यकरण व्यवस्था रखेंगे क्योंकि यह टोकन आधारित है और इसे कैसे क्रियान्वित किया जाएगा? हमें देखना होगा कि बैंकिंग प्रणाली एक स्तरीय मॉडल के रूप में मुद्रा वितरण के मामले में बैंक अच्छा काम कर रहे हैं, क्या इस मॉडल को सीबीडीसी के लिए भी स्वीकार किया जाना चाहिए।