नई दिल्ली. क्या आपने कभी आईटी सेवा कंपनी ब्राउजरस्टैक के प्रवर्तकों नकुल अग्रवाल एवं ऋतेश अरोड़ा और सैन जोस स्थित क्लाउड डिलिवर्ड सिक्योरिटी एज अ सर्विस कंपनी जेडस्केलर के संस्थापक जय चौधरी का नाम नहीं सुना? अगर नहीं तो आपको जल्द ही उनका नाम सुनने को मिल सकता है क्योंकि वे उन स्टार्टअप और यूनिकॉर्न के संस्थापकों में शामिल हैं, जिन्हें 2020-21 की आईआईएफएल हुरुन इंडिया रिच लिस्ट में जगह मिली है। जेडस्केलर के ग्राहकों में टॉप 500 फॉच्र्यून कंपनियां भी शामिल हैं।
कई स्टार्टअप ने पहली बार इस प्रतिष्ठित सूची में जगह बनाई है। उनके नाम सूची में शामिल 200 धनी उद्यमियों को धकेलकर अपनी जगह बना रहे हैं। इस सूची में पहले से शामिल स्टार्टअप की रैकिंग में बड़ा सुधार हुआ है। अन्य प्रवर्तकों ने विदेश में स्टार्टअप बनाई और यूनिकॉर्न बनकर प्रसिद्धि हासिल की। इस महामारी ने शिक्षा तकनीकी क्षेत्र की दिग्गज बैजूज की तकदीर बदल दी है। कंपनी का मूल्यांकन बढ़कर 18 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इससे बैजूज के मालिक- रवींद्रन परिवार की रैकिंग वर्ष 2021 में सुधरकर 67 हो गई है, जो वर्ष 2017 में 504 थी। कंपनी 20 से अधिक चरणों में 3.2 अरब डॉलर जुटा चुकी है। यह चीन की शिक्षा तकनीक कंपनियों पर शिकंजा कसे जाने के कारण पैदा मौके भुना रही है। कंपनी का आईपीओ अगले 12 से 18 महीने में आना तय माना जा रहा है। इस सूची में पहली बार जगह बनाने वालों में सबसे अहम नाम ब्राउजरस्टैक के प्रवर्तकों के हैं। अग्रवाल और अरोड़ा में से दोनों की संपत्ति 12,400 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। कंपनी सूची में 142वें पायदान पर रही यानी यह बहुत से जाने-माने और बेहतर स्थापित भारतीय स्टार्टअप प्रवर्तकों से काफी आगे है। इसने जून में 20 करोड़ डॉलर जुटाए थे, जिससे यह 4 अरब डॉलर के मूल्यांकन पर पहुंच गई।
इस सूची में पहली बार शामिल अन्य लोगों में से एक इनमोबी के नवीन तिवारी हैं। यह वर्ष 2011 में सॉफ्टबैंक के 20 करोड़ डॉलर के निवेश के बाद देश की पहली यूनिकॉर्न बनी थी। अब यह अमेरिकी शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होने जा रही है।
अश्विन धमेरा ने भी पहली बार सूची में जगह बनाई है। वह शिक्षा तकनीक कंपनी ऐरुडाइट्स के प्रवर्तक हैं, जिसने हाल में 65 करोड़ डॉलर से अधिक धनराशि जुटाई है। इससे कंपनी का मूल्यांकन 3.2 अरब डॉलर हो गया।
सबसे ज्यादा चौंकाने वाले ऐसे नाम हैं, जिनके बारे में भारत में बहुत कम लोग जानते हैं। देश में बहुत कम लोगों ने जय चौधरी का नाम सुना है। उनका जन्म हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था, जहां बिजली भी नहीं थी। अब वह जीस्केलर के संस्थापक हैं, जिसकी स्थापना उन्होंने वर्ष 2008 में अमेरिका में की थी।
यह कंपनी 2015 में यूनिकॉर्न बनी और 2018 में सूचीबद्ध हुई। इससे चौधरी की संपत्ति पिछले एक साल में दोगुनी यानी 1,21,600 करोड़ रुपये हो गई। इससे वह भारत के शीर्ष 10 धनी लोगों में शामिल हो गए हैं। अब वह बजाज, दिलीप सांघवी, दमानी से आगे हैं और कुमार मंगलम बिड़ला परिवार की संपत्ति से थोड़े ही पीछे हैं। अमेरिका में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर कंपनी कॉनफ्लूएंट ने नेहा नारखेड़े को इस प्रतिष्ठित सूची में जगह बनाने में मदद दी है। उनकी संपत्ति 12,200 करोड़ रुपये है और वह सूची में 46वें पायदान पर हैं। निस्संदेह ऐसे अन्य कई प्रवर्तक हैं, जिन्होंने अपनी कंपनी को सूचीबद्ध कराने का फैसला किया है। नायिका की संस्थापक फाल्गुनी नायर 8,700 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ 201वें स्थान पर रहीं। भारतीय बाजार में उबर से मुकाबला करने वाले ओला के संस्थापक भविश अग्रवाल के लिए महामारी मुश्किल दौर रहा है। महामारी के दौरान यात्रा पर प्रतिबंध रहे, जिसका मूल्यांकन पर असर पड़ा है।
इसके नतीजतन वह 7,500 रुपये की संपत्ति के साथ 232 वें पायदान पर रहे। ओयो के संस्थापक ऋतेश अग्रवाल को भी महामारी और होटल बंद रहने का नुकसान दंश झेलना पड़ा। वह 6,300 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ 260वें स्थान पर रहे। ओला और ओयो दोनों ही सूचीबद्ध होना चाहती हैं।