लखनऊ. केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष कर संग्रह (रिफंड के बाद) वित्त वर्ष 2022 के बजट अनुमान के 50 फीसदी को पार कर गया है। दूसरी तिमाही में अग्रिम कर संग्रह में तेजी और कम रिफंड के कारण 16 सितंबर तक प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 73 फीसदी ज्यादा रहा है।
उम्मीद से अधिक कर संग्रह का आंकड़ा 2019-20 की समान अवधि से भी 28 फीसदी अधिक रहा है, जो कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद आर्थिक सुधार के परिदृश्य को दर्शाता है। पहली तिमाही में महामारी की दूसरी लहर की वजह से आर्थिक गतिविधियों में खासी नरमी आई थी।
अग्रिम कर की दूसरी किस्त के भुगतान के बाद इस दौरान कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह 5.66 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल समान अवधि में 3.28 लाख करोड़ रुपये रहा था। चालू वित्त वर्ष में 11.08 लाख करोड़ रुपये कर संग्रह का अनुमान लगाया गया है। कोविड से पहले के साल यानी 2019-20 में इस दौरान 4.4 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर संग्रह हुआ था।
रिफंड के बाद कर संग्रह 6.4 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 47 फीसदी अधिक है लेकिन 2019-20 के मुकाबले 18 फीसदी कम है। 16 सितंबर तक 74,000 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए, जो पिछले साल की समान अवधि के 1.06 लाख करोड़ रुपये की तुलना में करीब 30 फीसदी कम हैं। 2019-20 में इस दौरान 1.01 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए थे।
प्रत्यक्ष कर संग्रह में आयकर और निगमित कर शामिल होते हैं। निगमित कर संग्रह पिछले साल की समान अवधि के 1.65 लाख करोड़ रुपये से 82 फीसदी बढ़कर 3.01 लाख करोड़ रुपये रहा। 2019-20 की तुलना में भी यह 26 फीसदी ज्यादा है। व्यक्तिगत आयकर संग्रह 2.52 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले
साल की समान अवधि के 1.55 लाख करोड़ रुपये से 63 फीसदी और 2019-20 के 2.38 लाख करोड़ रुपये से 28 फीसदी अधिक है। कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में निगमित कर की हिस्सेदारी 2019-20 के 53 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई, जबकि पिछले साल इसका हिस्सा घटकर 50 फीसदी रह गया था।