नई दिल्ली. खुदरा महंगाई अगस्त में चार महीनों के निचले स्तर पर आ गई। सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार लगातार दूसरे महीने खुदरा महंगाई केंद्रीय बैंक द्वारा तय सहज दायरे में रही। अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई घट कर 5.3 प्रतिशत रह गई, जो जुलाई में 5.59 प्रतिशत रही थी। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आगामी महीनों में महंगाई में और कमी आ सकती है मगर आरबीआई उदारवादी मौद्रिक नीति जारी रखेगी। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगले वित्त वर्ष में ब्याज दरें बढ़ाना जारी रख सकता है।
खाद्य महंगाई अगस्त में पिछले 7 महीनों के निचले स्तर 3.11 प्रतिशत पर आ गई, जो जुलाई में 3.96 प्रतिशत के स्तर पर थी। अगस्त में ईंधन की कीमतों में तेजी देखी गई और यह बढ़कर 12.98 प्रतिशत के स्तर पर आ गई। पिछले महीने यह 12.38 प्रतिशत के स्तर पर थी। प्रमुख महंगाई दर (गैर- खाद्य एवं गैर-ईंधन) महंगाई दर कम होकर 5.5 प्रतिशत के स्तर पर आ गई, जो पिछले महीने 5.7 प्रतिशत के स्तर पर रही थी।
अगस्त में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी)ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर का अनुमान 60 आधार अंक बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया था। एमपीसी ने कहा था कि केंद्र एवं राज्य सरकारों को पेट्रोल और डीजल में करों में कटौती कर महंगाई कम करनी चाहिए। लगातार 7वें महीने खुदरा महंगाई आरबीआई के सहज स्तर 5 प्रतिशत से ऊपर रही।
इक्रा की अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि महंगाई दर में कमी आने से एमपीसी की आगामी बैठक में चिंताएं पहले की तरह नहीं रहेंंगी। नायर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) एमपीसी के अनुमान से थोड़ा कम रहने से नीतिगत मोर्चे पर हालात सामान्य होने में थोड़ा समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि एमपीसी की अगली बैठक में नीतिगत दरें यथावत रखी जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े और त्योहारी मौसम के आंकड़े स्पष्टï रूप से बता देंगे कि देश में मांग की स्थिति क्या है।