मुंबई. रंभिक सार्वजनिक निर्गमों (आईपीओ) की बाढ़ से इस साल निवेश बैंकरों को शुल्क के रूप में रिकॉर्ड कमाई हुई है। रिफिनिटिव के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल अब तक आईपीओ से बतौर शुल्क 13.77 करोड़ डॉलर या 1,013 करोड़ रुपये मिले हैं। इस साल सभी आईपीओ से कुल 62,600 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। यह आंकड़ा 2017 के बाद सबसे अधिक है। उस साल 866 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड शुल्क मिला था।
पिछले साल से निवेश बैंकर आईपीओ शुल्क के जरिये करीब 1,800 करोड़ रुपये की कमाई कर चुके हैं। रोचक बात यह है कि इस साल भारत में आईपीओ से शुल्क की कमाई 13.7 अरब डॉलर के आईपीओ से प्राप्त वैश्विक शुल्क की महज एक फीसदी है। प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘आईपीओ शुल्क का सौदों और उनसे जुटाई जाने वाली धनराशि से सीधा संबंध है। इस साल अब तक निर्गमों का मूल्य किसी एक वर्ष में दूसरा सबसे अधिक है, इसीलिए शुल्क भी अधिक है।’
फूड डिलिवरी कंपनी आईपीओ के 9,375 करोड़ रुपये के आईपीओ से निवेश बैंकरों को 229 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड शुल्क मिला है, जो किसी बड़े आकार की पेशकश के लिए अहम धनराशि है। विशेषज्ञों ने कहा कि पेटीएम, नायिका, इक्सिगो, मोबिक्विक और पीबी फिनटेक जैसी नए दौर की कंपनियां आगामी महीनों में बाजार में दस्तक दे सकती हैं, जिससे निवेश बैंकरों की शुल्क के रूप में कमाई और बढ़ सकती है।
सेंट्रम कैपिटल में पार्टनर (ईसीएम) प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा, ‘नए दौर की कंपनियों का बैंकरों के साथ गहरा जुड़ाव है, जो उन्हें निजी इक्विटी कंपनियों से पैसा जुटाने में मदद देते हैं। ऐसे में जब वे सार्वजनिक पेशकश के लिए बाजार में आती हैं और अगर बैंकरों को ज्यादा शुल्क देने को भी तैयार होती हैं तो मुझे कोई अचंभा नहीं होगा।’