नई दिल्ली। खाने-पीने का सामान मंहगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति (retail inflation) मई महीने में उछलकर 6.3 फीसदी पर पहुंच गई। यह महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक के सहज स्तर से ऊंची है। सरकारी आंकड़े के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 4.23 फीसदी थी। इस बीच कच्चे तेल और विनिर्मित वस्तुओं की थोक कीमतों में बढ़ोतरी के चलते थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर मई में बढ़कर रिकॉर्ड उच्च स्तर 12.94 फीसदी पर पहुंच गई। इस उछाल में तुलनात्मक आधार का भी प्रभाव दिखता है क्योंकि मई 2020 में थोक मुद्रास्फीति शून्य से 3.37 फीसदी नीचे थी। यह लगातार पांचवां महीना है, जब थोक मुद्रास्फीति बढ़ी है। अप्रैल 2021 में यह 10 फीसदी की सीमा पर कर 10.49 फीसदी हो गई थी।
2021-22 में खुदरा महंगाई दर 5.1 फीसदी रहने का अनुमान
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के खुदरा मुद्रास्फीति (retail inflation) के आंकड़े के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर मई में 5.01 फीसदी रही। यह पिछले महीने के 1.96 फीसदी से कहीं अधिक है। आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति 2 फीसदी घट-बढ़ के साथ 4 फीसदी पर बरकरार रखने का लक्ष्य रखा है। आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति (retail inflation) पर गौर करता है। केंद्रीय बैंक ने इस महीने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया। रिजर्व बैंक ने 2021-22 में खुदरा महंगाई दर (retail inflation) 5.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।