नई दिल्ली। सरकार का अनुमान है कि कोविड-19 की दूसरी लहर (Second wave of covid-19) के कारण आर्थिक गतिविधियों में बाधा पडऩे से जून में वस्तु एवं सेवा कर संग्रह (Goods and Services Tax Collection) (जीएसटी) (GST) 1 लाख करोड़ रुपये से कम रह सकता है। ऐसा हुआ तो लगातार दूसरे साल राज्यों को दिया जाने वाला मुआवजा कुल मुआवजा उपकर संग्रह से ज्यादा रह सकता है। केंद्र को 2.5 से 3 लाख करोड़ रुपये के आसपास मुआवजा राज्यों के खाते में डालना पड़ सकता है। मगर उपकर मद में केवल 1 लाख करोड़ रुपये आने का अनुमान बजट में लगाया गया था। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि उपकर संग्रह (Cess collection) करीब 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये कम रह सकता है। ऐसे में सरकार को पिछले साल की तरह इस बार भी मुआवजे की भरपाई के लिए बाजार से उधार लेना पड़ सकता है।
मई में राजस्व संग्रह 30 फीसदी कम!
मगर यह भी माना जा रहा है कि केंद्र समूची कमी की भरपाई नहीं करेगा और केवल जीएसटी (GST) क्रियान्वयन के कारण हुई कमी को उधारी से भरेगा। कोविड-19 के कारण आई कमी की भरपाई के लिए राज्यों को पिछले साल की तरह उधारी लेने की सुविधा दी जा सकती है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘अप्रैल और मई में ई-वे बिल (E-way bill) जारी करने में आई कमी से संकेत मिलता है कि मई में राजस्व संग्रह अप्रैल की तुलना में करीब 30 फीसदी कम रह सकता है और जून में यह 1 लाख करोड़ रुपये से कम रह सकता है।
औद्योगिक राज्यों में आर्थिक गतिविधियां धीमी
औद्योगिक राज्यों में आर्थिक गतिविधियां धीमी हैं। मांग भी जुलाई से आनी शुरू हो सकती हैं, जिससे आगे कर संग्रह बढ़ सकता है।’ उन्होंने कहा कि कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे उत्पादक राज्यों में स्थानीय लॉकडाउन खत्म होने के बाद कर संग्रह में सुधार आएगा। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अधिकारियों की एक टीम इस साल जीएसटी संग्रह में कमी और मुआवजे की जरूरत का अनुमान लगा रही है।