नई दिल्ली। पटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पीसी और सर्वर जैसे सूचना प्रौद्योगिकी उपकरण (आईटी हार्डवेयर) बनाने के लिए 19 कंपनियों ने सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में आवदेन किया है। मगर इन कंपनियों के वादे सरकार के निर्यात, उत्पादन, रोजगार और निवेश वृद्धि के महत्त्वाकांक्षी अनुमानों के आसपास भी नहीं पहुंचते हैं।
चार साल में कुल 3.26 लाख करोड़ रुपये कीमत का माल तैयार का अनुमान
मंत्रिमंडल ने इस साल फरवरी में पीएलआई योजना (PLI yojna) को मंजूरी दी थी। उस समय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology) ने अगले चार साल में कुल 3.26 लाख करोड़ रुपये कीमत का माल तैयार होने का अनुमान जताया था। इसमें से 75 फीसदी यानी 2.45 लाख करोड़ रुपये का माल निर्यात होने का अनुमान था। इससे 2,700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश आने और 1.80 लाख लोगों को प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रोजगार मिलने का भी अनुमान था। 5 मार्च को एक वेबिनार में भी ये आंकड़े दोहराए गए, जहां उद्योग एïवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने नीति आयोग और अन्य भागीदारों के साथ मिलकर इन्हें पेश किया। इस योजना के तहत आईटी हार्डवेयर के आंकड़ों का फिर से हवाला दिया गया।
60,000 करोड़ रुपये कीमत के सामान के निर्यात के वादे
मगर 4 मई को जब एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर योजना में आवेदन करने वाली 19 देसी और विदेशी कंपनियों के वादों की घोषणा की गई तो मालूम हुआ कि अगले चार साल में 1.60 लाख करोड़ रुपये का ही सामान तैयार होने का अनुमान है। यह सरकार के पहले के अनुमानों से आधा ही है। कुल निर्यात के मामले में तो अनुमान और हकीकत के बीच अंतर और भी ज्यादा है, जबकि इस योजना का सबसे ज्यादा जोर निर्यात पर ही है। अनुमान के मुताबिक कंपनियों ने 60,000 करोड़ रुपये कीमत के सामान के निर्यात के वादे किए हैं, जो सरकार के लक्ष्य का एक चौथाई भर ही है।
37 फीसदी कीमत के सामान का निर्यात
इस तरह कंपनियों ने जितने उत्पादन का वादा किया है, उसमें से केवल 37 फीसदी कीमत के सामान का निर्यात होगा। सरकार ने 75 फीसदी कीमत का सामान निर्यात होने का अनुमान लगाया था। इसके अलावा कुल 2,350 करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश का वादा किया गया है, जो सरकार के अनुमान से करीब 13 फीसदी कम है। कुल रोजगार सृजन भी 1.50 लाख (37,500 प्रत्यक्ष और बाकी परोक्ष) ही रहने का अनुमान है, जो सरकार के पिछले अनुमान से करीब 16 फीसदी कम है।