नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र (Food processing sector) के लिए बहुप्रतीक्षित उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दे दी। इससे डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ से जुड़ी भारतीय कंपनियों के तेजी से विकास करने का रास्ता साफ हो गया है। 10,900 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि के साथ इस योजना का उद्देश्य स्थानीय उत्पादन और चार श्रेणियों में खाद्य पदार्थों के निर्यात को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही नवोन्मेषी उत्पादों और इस क्षेत्र के लघु एवं मझोले उपक्रमों (एसएमई) को विशेष सहायता प्रदान करना है।
समुद्री खाद्य उत्पादों और मॉत्सरेेला चीज को तव्वजो
इस योजना के लिए 2021-22 को आधार वर्ष माना गया है और सरकार का लक्ष्य 2027-28 तक उत्पादन में 33,494 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वृद्घि हासिल करना है। इससे 2026-27 तक करीब 2.50 लाख रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। शुरुआत में चार प्रमुख श्रेणियों में रेडी टू ईट और/या रेडी टू कुक, प्रसंस्कृत फल एवं सब्जियां, समुद्री खाद्य उत्पादों और मॉत्सरेेला चीज को तव्वजो दी जाएगी।
…इस योजना का लाभ मिलेगा
इसके तहत विनिर्माताओं को उनकी निवेश और संवर्धित बिक्री की प्रतिबद्घता के आधार पर प्रोत्साहन दिया जाएगा। नवोन्मेषी और अंडे तथा पोल्ट्री मांस के जैविक उत्पादों वाले एसएमई को भी इस योजना का लाभ मिलेगा। स्थानीय विनिर्माताओं को विदेशी बाजारों में ब्रांड विकसित करने तथा विपणन पहल के लिए 1,500 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
कंपनियों ने इस योजना में दिलचस्पी
इस योजना की घोषणा करते हुए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल (Commerce Minister Piyush Goyal) ने कहा कि इस योजना में रोजगार के अवसर पैदा करने की भी क्षमता है। इसका लक्ष्य किसानों को उनकी उपज के बेहतर दाम दिलाना और कृषि उपज की बरबादी को कम करना है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि नेस्ले, मदर डेयरी, अमूल, आईटीसी, हिंदुस्तान यूनिलीवर, कैलॉग्स जैसी कई घरेलू और वैश्विक कंपनियों ने इस योजना में भागीदारी करने में दिलचस्पी दिखाई है। खाद्य प्रसंस्करण विभाग की सचिव पुष्पा सुब्रमण्यम के अनुसार मंत्रालय अप्रैल के अंत में इस योजना के लिए अभिरुचि पत्र जारी करेगा।
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