नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Government) ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (Insolvency and Insolvency Code) (आईबीसी) पर लगी रोक को पूरी तरह हटाने पर विचार कर रही है। इस कदम का मकसद दबाव वाली संपत्तियों के समाधान प्रक्रिया और ऋणदाताओं के फंसे कर्ज की वसूली में तेजी लाना है। हालांकि महामारी (Corona Pandemic) की मार से अब तक नहीं उबरने वाली सर्वाधिक प्रभावित कंपनियों को कुछ राहत देने पर भी विचार किया जा सकता है। फिलहाल आईबीसी के तहत कार्रवाई पर 24 मार्च तक रोक लगाई गई है।
चालू वित्त वर्ष में डिफॉल्ट के नए मामले काफी बढ़े
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम दो विकल्प तलाश रहे हैं, एक आईबीसी से पूरी तरह रोक हटाना और समाधान प्रक्रिया की मंजूरी देना है क्योंकि चालू वित्त वर्ष में डिफॉल्ट के नए मामले काफी बढ़े हैं। दूसरा, आईबीसी में कुछ नए प्रावधान शामिल करना है, जो विशिष्ट रूप से दबाव वाली कंपनियों के लिए होंगे, जिनमें एमएसएमई फर्में, आतिथ्य क्षेत्र की कंपनियां आदि शामिल होंगी।’
15 मार्च तक इस पर निर्णय करने का लक्ष्य
दोनों संभावनाओं पर चर्चा के लिए वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance), कंपनी मामलों का मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs), भारतीय ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया बोर्ड (Insolvency and Bankruptcy Board of India) के साथ ही अन्य हितधारकों के साथ इस हफ्ते बैठक हो सकती है, जिसमें योजना को अंतिम रूप दिया जा सकता है। अधिकारी ने कहा, ‘हम इसमें देरी नहीं करना चाहते और 15 मार्च तक इस पर निर्णय करने का लक्ष्य है।’
पंचाट वर्चुअल के साथ ही फिजिकल सुनवाई भी कर सकती
सूत्रों ने कहा कि सरकार को उद्योग के भागीदारों, वकीलों, बैंकरों तथा आईबीसी अधिकारियों से इस बारे में कई सुझाव मिले हैं। निलंबन को आगे बढ़ाने के अलावा कुछ प्रस्ताव हाइब्रिड मॉडल को लेकर भी आए हैं क्योंकि कोविड टीका आने के बाद पंचाट वर्चुअल के साथ ही फिजिकल सुनवाई भी कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि पंचाट को तत्काल जरूरत वाले मामलों की समाधान प्रक्रिया पर शीघ्र सुनवाई करनी चाहिए। बैठक में आईबीसी की शाखाएं बढ़ाने और कर्मचारियों की नियुक्ति करने जैसे विचार पर भी चर्चा की जाएगी।
आईबीसी सुनवाई पर रोक हटाई जानी चाहिए
सिरिल अमरचंद मंगलदास (Cyril Amarchand Mangaldas) में पार्टनर एल विश्वनाथन ने कहा, ‘भुगतान में चूक के मामले में आईबीसी सुनवाई पर रोक हटाई जानी चाहिए क्योंकि इससे कंपनियों और ऋणदाताओं को दबाव वाली संपत्तियों के समाधान के लिए आईबीसी (IBC) का उपयोग करने की सहूलियत होगी। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve bank of India) ने कर्ज पुनर्गठन के लिए आवश्यक ढांचा तैयार किया है। इस बीच सरकार भी कोविड से उबरने के लिए बजट में प्रावधान करने का भरोसा जताया है।’
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