जयपुर। केंद्र सरकार (central government) ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) से कहा कि वह फेसबुक (Facebook) की मैसेजिंग कंपनी व्हाट्सऐप (Messaging company whatsapp) की नई गोपनीयता नीति की वजह से डेटा सुरक्षा को लेकर बढ़ी आशंका के मामले को देख रही है। अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अदालत को जानकारी दी कि इस मसले से जुड़े सवालों पर प्रतिक्रिया देने के लिए व्हाट्सऐप (Messaging company whatsapp) से संपर्क किया गया है। उन्होंने कहा कि व्हाट्सऐप (whatsapp) की नई गोपनीयता नीति में भारतीय और यूरोपीय उपयोगकर्ताओं के साथ अलग-अलग बरताव किया जा रहा है जो सरकार के लिए चिंताजनक है।
स्वीकार करने के लिए मजबूर कर रही व्हाट्सऐप
उन्होंने कहा, ‘यूरोपीय उपयोगकर्ताओं को नई गोपनीयता नीति में यह विकल्प दिया गया है कि अगर वे चाहें तो नई नीति से असहमति भी जता सकते हैं जबकि भारतीय उपयोगकर्ताओं को ऐसा कोई विकल्प नहीं दिया गया है। इस तरह के भेदभाव वाला बरताव चिंताजनक है। प्रथमदृष्टया ऐसा लगता है कि व्हाट्सऐप (Messaging company whatsapp) भारतीय उपयोगकर्ताओं को अपनी नीति स्वीकार करने के लिए मजबूर कर रही है और ऐसा न करने पर सेवा न देने की नीति पर काम कर रही है।
व्हाट्सऐप की नई गोपनीयता नीति निजता के अधिकार का उल्लंघन
व्हाट्सऐप (Messaging company whatsapp) अपने सामाजिक प्रभाव की आड़ में उपयोगकर्ताओं को एकतरफा समझौते के लिए मजबूर कर रही है जिससे निजता और सूचना सुरक्षा के हित प्रभावित हो सकते हैं।’ इससे पहले वकील चैतन्य रोहिल्ला ने एक याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया था कि व्हाट्सऐप (Messaging company whatsapp) की नई गोपनीयता नीति निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है जिसकी गारंटी भारत के संविधान के तहत दी गई है। याचिका में केंद्र सरकार को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई कि व्हाट्सऐप (whatsapp) अपने उपयोगकर्ताओं का कोई भी डेटा किसी तीसरे पक्ष या फेसबुक (Facebook) और उसकी कंपनियों के साथ साझा न करे।
व्यक्ति की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखा जाएगा
याची का कहना है कि व्हाट्सऐप (Messaging company whatsapp) की नई गोपनीयता नीति के तहत सरकार की निगरानी के बगैर ही किसी व्यक्ति की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखा जाएगा और फेसबुक (Facebook) के स्वामित्व वाले अन्य ऐप और तीसरे पक्ष के ऐप के साथ अपना डेटा साझा नहीं करने के उपयोगकर्ता के सभी विकल्प भी खत्म कर दिए जाएंगे। याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि डेटा को किस हद तक साझा किया जाएगा, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। ऐसे में ये सवाल उठ रहे हैं कि उपयोगकर्ताओं के संवेदनशील डेटा के साथ क्या किया जाएगा।