मुंबई। ऐप के जरिये कर्ज (Loan through app) देने वाली फर्मों का अध्ययन करने के लिए गठित भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve bank of India) (आरबीआई) की कार्य समिति वसूली एजेंटों की ज्यादतियों, खास तौर पर छोटी रकम के देर से भुगतान के लिए ग्राहकों की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयासों को रोकने के उपायों के बारे में सुझाव दे सकती है।
निजी मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल करने से रोकने के उपाय
आरबीआई (RBI) के जानकार सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय बैंक की राय है कि डिफॉल्टरों या देर से भुगतान करने वालों की छवि खराब करने के मकसद से संपर्क सूची में शामिल लोगों को वसूली एजेंट द्वारा टेक्स्ट संदेश भेजने के लिए निजी मैसेजिंग ऐप (Private messaging app) का इस्तेमाल करने से रोकने के तत्काल उपाय होने चाहिए।
ऊंची दरों पर ब्याज वसूला जाता
ऐप के जरिये कर्ज (Loan App) देने वाली फर्में जरूरतमंदों को कुछेक सौ या कुछ हजार रुपये तक का कर्ज देती हैं लेकिन उस पर ऊंची दरों पर ब्याज वसूला जाता है। कर्ज (Loan App) लेने वाला अगर भुगतान में देरी करता है तो ऋणदाता का टेली-कॉलर संबंधित ग्राहक के संपर्क सूची में शामिल सभी लोगों या परिवार के सदस्यों को लगातार संदेश भेजना शुरू कर देता है। कई बार आधार और स्थायी खाता संख्या (पैन) जैसे संवेदनशील जानकारियां भी स्कैन करके भेज दी जाती हैं।
ऐप इन्स्टॉल संपर्क सूची, गैलरी-मैसेज तक पहुंचने की अनुमति
जब यह ऐप (Loan App) डाउनलोड किया जाता है तो वसूली एजेंटों के पास संबंधित व्यक्ति के संपर्कों की पूरी सूची आ जाती है। इसका इस्तेमाल वे बाद में कर्जदारों को धमकाने में कर सकते हैं। इस तरह के ऐप को जब इन्स्टॉल किया जाता है तो संपर्क सूची, गैलरी और मैसेज तक पहुंचने की अनुमति देने के लिए कहा जाता है। अनुमति मिलने के बाद कर्जदाता के पास संबंधित व्यक्ति के फोन की सारी जानकारी उपलब्ध हो जाती है।
गूगल ने हटा दिया था प्ले स्टोर से
चाइनीज ऐप (Chinese app) के तौर पर जाने जाने वाले कर्ज देने वाले ऐसे ऐप (Loan App) के मामले में यह बात सही साबित होती है। ग्राहकों और सरकारी एजेंसियों से शिकायत मिलने के बाद इनमें से कई ऐप (Loan App) को गूगल ने पिछले हफ्ते प्ले स्टोर से हटा दिया था।
कुछ विनियमित फर्में भी ऐसा ही करती
इस तरह की शिकायतों को देखने वाले सूत्रों का कहना है कि इस तरह की कार्यप्रणाली केवल चाइनीज ऐप द्वारा ही नहीं अपनाई जाती है बल्कि कुछ विनियमित फर्में भी ऐसा ही करती हैं। अक्सर दोनों तरह की फर्मों के लिए वसूली एजेंट समान होते हैं।