मुंबई। सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों ने दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉर्पोरेशन (Dewan Housing Finance Corporation) (डीएचएफएल) (DHFL) की कर्ज समाधान योजना के लिए पीरामल (Piramal) के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है। शुक्रवार को इस घटनाक्रम के बाद दीवालिया हो चुकी इस आवास वित्त कंपनी के पटरी पर लौटने का रास्ता साफ हो गया है। दिसंबर 2019 से कंपनी का मामला दिवालिया न्यायालय में चल रहा था। इस बारे में एक बैंकर ने कहा कि अमेरिका की फंड ओकट्री का प्रस्ताव काफी पेचीदा था और उसकी योजना में कई खामियां थीं। बैंकों को भविष्य में जारी होने वाले बॉन्ड को लेकर भी भ्रामक जानकारियां दी गई थीं।
पीरामल करना चाहती है वित्तीय सेवा कारोबार डीएचएफएल में विलय
पीरामल (Piramal group) अपने वित्तीय सेवा कारोबार का विलय डीएचएफएल (DHFL) में करना चाहती है और अपने सभी कर्मचारियों को बनाए रखना चाहती है। एक सूत्र ने कहा कि सभी सरकारी बैंकों के पीरामल (Piramal group) की योजना के पक्ष में मतदान करने के बाद यह आवश्यक 66 प्रतिशत मतदान की शर्त पूरा करने में कामयाब रही है।
दिसंबर 2019 में कंपनी दिवालिया
डीएचएफएल (DHFL) अपने कर्जदाताओं को 90,000 करोड़ रुपये के भुगतान में चूक गई थी, जिसके बाद कंपनी का मामला दिसंबर 2019 में दिवालिया न्यायालय पहुंच गया था। कंपनी के प्रवर्तक इस समय जेल में हैं और धन शोधन मामले में आरोपों का सामना कर रहे हैं।
पीरामल करेगी 12,700 करोड़ रुपये कर्जदाताओं को अग्रिम जमा
पीरामल (Piramal group) की योजना के बाद डीएचएफएल (DHFL) के कर्जदाता बैंकों के लिए अगले पांच वर्षों में 37,250 करोड़ रुपये वसूलना आसान हो जाएगा। अपने कुल भुगतान में पीरामल 12,700 करोड़ रुपये कर्जदाताओं को अग्रिम जमा करेगी। अधिक अग्रिम भुगतान करने का प्रस्ताव देने के कारण ही पीरामल की योजना बैंकों को पसंद आई।
अडाणी ने भी लगाई थी बोली
पीरामल (Piramal group) की योजना के आधार पर डीएचएफएल (DHFL) के मौजूदा शेयरधारकों को शून्य मूल्यांकन मिलेगा। सावधि जमा धारकों ने दोनों योजनाओं के लिए मतदान नहीं किया। तीसरी बोलीदाता अदाणी का प्रस्ताव काफी कम आंका गया, इसलिए इस पर विचार नहीं हुआ।
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