पुणे। साल 2020 मुश्किलों भरा रहा, मगर आम आदमी की जेब को राहत देकर समाप्त हुआ। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price Index) (सीपीआई) आधारित महंगाई दर (Inflation rate) दिसंबर में घटकर 4.59 फीसदी पर आ गई। यह नवंबर में 6.93 फीसदी और अक्टूबर में छह साल के सर्वोच्च स्तर 7.61 फीसदी से कम है। खुदरा महंगाई (Inflation rate) में यह गिरावट खाद्य महंगाई में तेज गिरावट की बदौलत आई है। खाद्य महंगाई (Inflation rate) नवंबर में 9.5 फीसदी थी, जो दिसंबर में लुढ़ककर 3.4 फीसदी पर आ गई। यह खुदरा महंगाई (Inflation rate) का अगस्त, 2019 के बाद सबसे निचला स्तर है।
सब्जियों के खंड में 10 फीसदी अवस्फीति र
खाद्य महंगाई (Inflation rate) में गिरावट सब्जियों में अनकूल आधार प्रभाव की बदौलत आई है। हालांकि खाद्य तेल की महंगाई ऊंचे स्तर रही। दिसंबर, 2019 में सब्जियों की महंगाई (Inflation rate 2020) मौजूदा सीपीआई शृंखला के तहत 60 फीसदी रही थी। एक साल पहले इतने ऊंचे आधार के कारण सब्जियों के खंड में 10 फीसदी अवस्फीति रही।
तेल की महंगाई दर 20 फीसदी के स्तर को पार
तेल एवं वसा की महंगाई दर दिसंबर, 2020 में 20 फीसदी के स्तर को पार कर गई, जो नवंबर में 17.9 फीसदी बढ़ी थी। तेल एवं वसा में मुश्किल से ही कभी इतनी अधिक महंगाई (Inflation rate 2020) दर्ज की गई है। यहां तक कि 2012 और 2013 के उच्च मुद्रास्फीति के वर्षों में भी इस खंड की महंगाई दर 20 फीसदी से अधिक नहीं रही थी। हालांकि कई बार इस खंड की महंगाई दर 18 फीसदी के आसपास रह चुकी है।
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