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जेट एयरवेज के विमान में सवार 30 यात्रियों के नाक-कान से गिरने लगा खून


क्रू मेंबर केबिन प्रेशर मेंटेन करने वाले स्विच को दबाना भूल गए, मुंबई से जयपुर की फ्लाइट को बुलाया वापिस

जयपुर. जेट एयरवेज के विमान में उस वक्त अफरातफरी मच गई जब गुरुवार सुबह मुंबई से जयपुर जा रही फ्लाइट में 30 यात्रियों के नाक और कान से खून निकलने लगा। असल में क्रू मेंबर केबिन प्रेशर मेंटेन करने वाले स्विच को दबाना ही भूल गए थे जिसके चलते विमान के ऊंचाई पर पहुंचने से लोग हवा की कमी महसूस करने लगे। देखते ही देखते कुछ लोगों के नाक और कान से ब्लीडिंग होने लगी जबकि तमाम लोग ऐसे थे जिन्हें सिर दर्द होने लगा।
हवाई जहाज बनाने वाली कंपनी को एयर क्राफ्ट मॉडल बी 737 के केबिन प्रेशर मेंटेन करने वाले स्विच में सुरक्षा की दृष्टि को देखते हुए अलार्म सिस्टम देना चाहिए था जिससे यह भीषण हादसा टाला जा सकता था।
जेट एयरवेज के प्रवक्ता ने कहा मुंबई से जयपुर जा रही फ्लाइट को इसलिए वापस बुलाना पड़ा क्योंकि केबिन प्रेशर कम हो गया था। 166 यात्रियों और 5 क्रू मेंबर्स समेत विमान को मुंबई में सामान्य ढंग से उतारा गया। सभी यात्री सुरक्षित हैं। जिन यात्रियों ने नाक और कान से ब्लीडिंग की शिकायत की थी उन्हें फस्र्ट ऐड मुहैया कराया गया है। प्रवक्ता ने कहा कि क्रू को ड्यूटी से हटा दिया गया है और जांच का आदेश दिया गया है। यात्रियों के लिए वैकल्पिक फ्लाइट की व्यवस्था की जा रही है। विमान में कुल 166 यात्री सवार थे। मामला सामने आने पर विमान को तुरंत वापस मुंबई एयरपोर्ट उतारा गया। इस मामले में उड्डयन महानिदेशालय ने बताया है कि घटना के सामने आने के बाद क्रू मेंबर्स को ड्यूटी से हटा दिया गया है और मामले की जांच का आदेश दिया गया है। एयरक्राफ्ट ऐक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
अधिकारियों के मुताबिक मुकेश शर्मा 31, विकास अग्रवाल, दामोदर दास 37 और अंकुर काला 38 की डॉ. बालाभाई नानावटी हॉस्पिटल में ईएनटी स्पेशलिस्ट द्वारा जांच की गई। नानावटी अस्पताल के मुख्य संचालन अधिकारी राजेंद्र पाटनकर ने कहा कि उनकी सेहत स्थिर है और उन्हें भर्ती करने की जरूरत नहीं है।

हल्के बहरेपन की शिकायत
जांच के बाद ईएनटी डॉक्टरों द्वारा पाया गया कि पांच यात्री कान के बारोट्रॉमा से ग्रस्त हैं जो हवा के दबाव में अचानक बदलाव की वजह से हुआ है। उन्होंने कहा कि पांच मरीजों को आंशिक बहरेपन की शिकायत है जिसे पूरी तरह ठीक होने में एक हफ्ते से 10 दिन का समय लगेगा। उन्हें तब तक हवाई सफर न करने की सलाह दी गई है। पाटनकर ने कहा हल्के बहरेपन के इलाज के लिए जिन दवाओं की जरूरत है वो उन्हें बता दी गई हैं।

यात्री ने सुनाई आपबीती
विमान से जयपुर आ रहे ज्वैलर संजय काला ने बताया कि हमनें जैसे ही उड़ान भरी एयर कंडीशनर काम नहीं कर रहे थे। अंदर दम घुट रहा था। उड़ान भरने के 15 से 20 मिनट बाद ऑक्सीजन मास्क निकल गए लेकिन उन्हें इस्तेमाल करना है या नहीं इस बारे में कोई निर्देश नहीं दिया गया। सभी लोग घबरा गए थे। लैंडिंग के दौरान भी विमान में काफी दबाव था और उन्होंने अपने कान बंद किए हुए थे और मास्क पकड़े हुए थे।

ब्लीड स्वीच सेलेक्ट करने की भूल
इससे पहले विमानन महानिदेशालय डीजीसीए के एक अधिकारी ने बताया कि उड़ान भरते समय पायलट और सहयोगी सदस्य ब्लीड स्वीच सेलेक्ट करना भूल गए जिसकी वजह से केबिन प्रेशर सामान्य नहीं रखा जा सका। इस वजह से ऑक्सीजन मास्क नीचे आ गए।

जांच पूरी होने तक ड्यूटी से हटाए गए पायलट
जेट एयरवेज के प्रवक्ता ने बताया कि केबिन प्रेशर में कमी आने के कारण बोईंग 737 विमान को वापस मुंबई लौटना पड़ा। जांच पूरी होने तक विमान के पायलटों को ड्यूटी से हटा दिया गया है। उन्होंने कहा विमान में 166 यात्री सवार थे जिनमें से 30 यात्रियों को यह समस्या आई। कुछ की नाक से जबकि कुछ अन्य के कान से खून बहने लगा वहीं कुछ लोगों को सिर दर्द की परेशानी हुई।

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