नई दिल्ली। चूंकि गैर-भाजपा शासित राज्य (Non-BJP ruled states) अभी भी क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर केंद्र के साथ असहमत हैं इसलिए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) (Goods and Services Tax (GST)) परिषद की सोमवार को होने वाली बैठक के हंगामेदार रहने के आसार हैं। हालांकि भाजपा शासित राज्यों (BJP Ruled States) समेत कुल 21 राज्यों ने जीएसटी क्षतिपूर्ति (GST compensation) के मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन किया है।
पांच अक्टूबर को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक
इन राज्यों के पास चालू वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्व (GST revenue) में कमी की भरपाई के लिये 97 हजार करोड़ रुपये उधार लेने का विकल्प चुनने का सितम्बर मध्य तक समय था लेकिन पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल जैसे विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने केंद्र सरकार द्वारा कर्ज उठाने के दिये गये विकल्प को अब तक नहीं चुना है। इसलिए पांच अक्टूबर को होने वाली जीएसटी परिषद की 42वीं बैठक (42nd meeting of GST Council) में विपक्षी दलों के द्वारा शासित राज्य केंद्र के विकल्प का विरोध कर सकते हैं और जीएसटी क्षतिपूर्ति (GST compensation) के लिये वैकल्पिक व्यवस्था की मांग कर सकते हैं।
छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार के लिखा पत्र
इन राज्यों का मानना है कि राज्यों के राजस्व में कमी (GST compensation) की क्षतिपूर्ति करना केंद्र सरकार का संवैधानिक दायित्व है। इन छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार के द्वारा पेश विकल्प का विरोध करते हुए पत्र लिखा है। ये राज्य चाहते हैं कि जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिये केंद्र सरकार कर्ज ले, जबकि केंद्र सरकार का तर्क है कि वह उन करों के एवज में कर्ज नहीं उठा सकती है, जो उसके खाते के नहीं हैं।
राज्यों को जीएसटी से राजस्व में 2.35 लाख करोड़ की कमी के आसार
चालू वित्त वर्ष में राज्यों को जीएसटी से प्राप्त होने वाले राजस्व में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी के आसार हैं। केंद्र सरकार की गणना के हिसाब से इसमें महज 97 हजार करोड़ रुपये की कमी के लिये जीएसटी का क्रियान्वयन जिम्मेदार है, जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपये की कमी कोविड-19 के कारण है।