मुंबई। एक्सॉन मोबिल (Exxon Mobil) अमेरिकी शेयर बाजार डाऊ जोंस इंडिस्ट्रयल एवरेज से बाहर हो गई है। कभी दुनिया की सबसे बड़ी और सर्वाधिक मुनाफे में रहने वाली कंपनी का तमगा रखने वाली इस कंपनी का प्रदर्शन पिछले कई वर्षों से खस्ता चल रहा था। भारत की कंपनी ओएनजीसी (ONGC) का भी हाल कमोबेश एक्सॉन मोबिल की तरह ही है। हाल के वर्षों में यह सूचकांक शेयरों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली कंपनियों में शुमार रही है। गनीमत है कि ओएनजीसी देश के सबसे लोकप्रिय एवं कारोबार करने वाले सूचंकाक निफ्टी-50 (Nifty-50) में अब भी शामिल है।
BSE से ओएनजीसी पहले ही बाहर
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) (बीएसई) (BSE) ने अपने बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स में शामिल कंपनियों की फेहरिस्त से ओएनजीसी को पहले ही बाहर कर दिया है। हालिया वर्षों में कंपनी के शेयरों का प्रदर्शन खस्ताहाल रहा है। वर्ष 2015 की शुरुआत से ONGC का बाजार पूंजीकरण 65 प्रतिशत तक कम हो चुका है। इस अवधि के दौरान कच्चे तेल की कमजोर कीमतें और कंपनी का कमजोर बहीखाता दोनों ही कारण इसके लिए जिम्मेदार रहे हैं।
ONGC 1 लाख करोड़ रुपये कर्ज में
ONGC कंपनी का बहीखाता 1 लाख करोड़ रुपये कर्ज में डूब चुका है। दिसंबर 2014 के अंत तक ओएनजीसी बाजार पूंजीकरण के लिहाज से देश की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी थी, लेकिन अब यह फिसलकर 24वें स्थान पर आ गई है।
जिंस एवं औद्योगिक खंड की 13 कंपनियां बाहर
दरअसल ONGC की धार कुंद पडऩे की मोटी वजह भारत में जिंस उत्पादकों और औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्र में आई सुस्ती है। पिछले पांच वर्षों में निफ्टी-50 (Nifty-50) सूचंकाक से जिंस एवं औद्योगिक खंड की 13 कंपनियां बाहर हो चुकी हैं। अमेरिका में एक्सॉन मोबिल की जगह तकनीकी कंपनियों ने ले ली है, जबकि भारत में बैंकों और उपभोक्ताआ कंपनियों ने जिंस एवं औद्योगिक खंड की कंपनियों को पीछे धकेल दिया है।
ये कंपनियां बाहर हुई
इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी सर्विसेस के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम कहते हैं, ‘निफ्टी-50 सूचकांक से ज्यादातर वे कंपनियां बाहर हुई हैं, जिनका कारोबार औद्योगिक क्षेत्र एवं अर्थव्यवस्था की चाल पर टिका है। देश में औद्योगिक गतिविधियां सुस्त होने और जिसं बाजार में कीमतें गिरने से पिछले 5 से 6 वर्ष इन क्षेत्रों के चुनौतीपूर्ण रहे हैं।’