मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve bank of India) (आरबीआई) वित्त वर्ष 2019-20 के लिए केंद्र सरकार को 57,128 करोड़ रुपये का लाभांश देगा। आरबीआई ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। इससे पिछले वर्ष केंद्रीय बैंक ने लाभांश के रूप में सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये दिए थे। सरकार ने राजकोषीय घाटे की भरपाई के लिए लाभांश मद में आरबीआई (RBI) से 60,000 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया था। हालांकि राजस्व में कमी की चोट से कराह रही सरकार को लग रहा था कि केंद्रीय बैंक संभवत: उसे बजट अनुमान से अधिक ही रकम देगा।
राजकोषीय घाटा 6.62 लाख करोड़ रुपये
कोविड-19 संकट (Covid-19 Crisis) और सुस्त आर्थिक गतिविधियों के कारण सरकार का राजस्व संग्रह प्रभावित हुआ है। हाल में जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 के पहले तीन महीनों में केंद्र का राजकोषीय घाटा 6.62 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पूरे वर्ष के अनुमानित आंकड़े का 83 प्रतिशत है। आरबीआई (RBI) से अधिक रकम मिली होती घाटा थोड़ा कम करने में मदद मिली होती, लेकिन लाभांश के रूप में जितनी रकम आई है, वह सरकार के बजट अनुमान से भी कम है।
राजकोषीय घाटा कहीं अधिक पहुंच गया
शुक्रवार को आरबीआई (RBI) के निदेशक मंडल की बैठक हुई, जिसके बाद सरकार को अधिशेष रकम देने का निर्णय लिया गया। रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि कोविड-19 संकट से कर एवं गैर-कर राजस्व स्रोतों और विनिवेश से मिली रकम के मुकाबले राजकोषीय घाटा कहीं अधिक पहुंच गया है। मोटे तौर पर इन स्रोतों से प्राप्त रकम भारत सरकार के वित्त वर्ष 2020-21 के अनुमान के मुकाबले 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक रह सकती है। वैसे अर्थशास्त्रिों ने इस वर्ष आरबीआई से अपेक्षाकृत कम लाभांश मिलने का अनुमान जताया था, लेकिन मिली रकम मोटे तौर पर अनुमानों के अनुरूप ही कही जा सकती है।