जयपुर। अर्थव्यवस्था में नकदी के इस्तेमाल को कम करने के लिए सरकार को ग्राहकों के बीच क्यूआर (क्विक रिस्पांस) कोड (Quick response code) के जरिए लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन देने चाहिए। रिजर्व बैंक (Reserve bank) की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। क्यूआर कोड (QR code) के जरिए विभिन्न बिक्री केंद्रों और दुकानों पर मोबाइल से आसानी से भुगतान किया जा सकता है।
क्या है QR code?
QR code पर्याप्त सूचनाओं को अपने में संग्रहित रख सकता है। यह एक तरह का बारकोड होता है जिसे मशीन के जरिए पढ़ लिया जाता है। एक जापानी कंपनी ‘डेंसो वेव’ ने साल 1990 में QR code का आविष्कार किया था। भारत में QR code भुगतान प्रणाली व्यापक तौर पर तीन तरह से – भारत क्यूआर (Bharat QR), यूपीआई क्यूआर (UPI QR) और प्रॉप्रिएटरी क्यूआर (Proprietary QR) के जरिए काम करती है।
रिजर्व बैंक की समिति ने दिए सुझाव
आईआईटी बंबई के प्रोफेसर एमरिटस डीबी पाठक की अध्यक्षता वाली रिजर्व बैंक की इस समिति ने और भी कई सुझाव इस संबंध में दिए हैं। उसने कहा है कि जो व्यापारी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भुगतान स्वीकार करते हैं, उन्हें कर प्रोत्साहन भी दिया जाना चाहिए। क्यूआर कोड के विश्लेषण के लिए गठित इस समिति ने कहा है कि देश में QR code के जरिए लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए और इसे लोगों के बीच आकर्षक बनाने के लिए सरकार को प्रोत्साहन योजनाओं को भी शुरू करना चाहिए।
QR code से होंगे ये लाभ
QR code के जरिए कोई भी बिजली, पानी, पेट्रोल, डीजल, किराना सामान, यात्रा और अन्य कई तरह के भुगतान कर सकता है। रिजर्व बैंक को सौंपी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कागज आधारित क्यूआर कोड काफी सस्ता और लागत प्रभावी है। इसमें रखरखाव की भी जरूरत नहीं पड़ती है। रिजर्व बैंक ने इस रिपोर्ट पर लोगों तथा अन्य संबंध पक्षों से 10 अगस्त तक अपने सुझाव और टिप्पणियां भेजने को कहा है।
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