नई दिल्ली। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस (Moody’s Investors Service) के अनुसार, भारत के बैंक समाधान फ्रेमवर्क में संशोधन क्रेडिट पॉजिटिव हैं। मूडीज ने क्रेडिट परिदृश्य पर एक आलेख में कहा है कि संशोधित समाधान प्रक्रिया क्रेडिट पॉजिटिव है, क्योंकि इसने जमाकर्ताओं के विश्वास को बनाए रखने और किसी कमजोर बैंक से जमा की निकासी से बचने में मदद की है, क्योंकि स्थगन (मोरैटोरियम) का जोखिम समाप्त हो गया है।
जमाकर्ताओं और लेनदारों के लिए भी क्रेडिट पॉजिटव
मूडीज ने कहा है, संशोधन बैंक के जमाकर्ताओं और लेनदारों के लिए भी क्रेडिट पॉजिटव है, क्योंकि समाधान प्रक्रिया के दौरान पूर्ण और समय पर भुगतान हासिल करने की उनकी क्षमता अप्रभावित है।
यह लिखा है एक्ट में
केंद्र सरकार ने 26 जून को बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 में संशोधन किया, जिसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक को किसी कमजोर बैंक की पूंजी का पुनर्गठन कर या किसी दूसरे बैंक के साथ उसका विलय कर उस बैंक के समाधान की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मिल गई। इस प्रक्रिया के दौरान उस बैंक के जमाकर्ताओं और लेनदारों पर कोई स्थगन लागू करने की पूर्व आवश्यकता नहीं होगी। इस संशोधन से पहले आरबीआई किसी बैंक की संपत्ति और उसकी देनदारियों पर छह महीने का स्थगन लागू करने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी लेने के बाद ही उस कमजोर बैंक के समाधान प्रक्रिया को शुरू कर सकता था।