नई दिल्ली। खादी, ग्रामोद्योग आयोग (Khadi, Village Industries Commission) ने अपनी परिसंपत्तियों के मौद्रिकरण को बढ़ावा देने के लिए चंदन और बांस के वृक्षारोपण की शुरुआत की है। चंदन और बांस के व्यावसायिक वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए केवीआईसी (KVIC) ने 262 एकड़ जमीन में फैले हुए अपने नासिक प्रशिक्षण केंद्र में चंदन और बांस के 500 पौधे लगाने की मुहिम शुरू की है।
एमएसएमई मंत्रालय ने की खरीद
केवीआईसी (KVIC) के अध्यक्ष, विनय कुमार सक्सेना ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वृक्षारोपण समारोह का शुभारंभ किया। केवीआईसी द्वारा चंदन के पौधों की खरीद एमएसएमई मंत्रालय की इकाई, फ्रेगरेंस एंड फ्लेवर डेवलपमेंट सेंटर (एफएफडीसी), कन्नौज, उत्तर प्रदेश से और बांस के पौधों की खरीद असम से की गई है। अगले 10 से 15 वर्षों में इसके जरिये 50 करोड़ से 60 करोड़ रुपये के बीच आय का अनुमान है।
चंदन का पेड़ परिपक्व हो जाता है 10 से 15 साल में
चंदन का एक पेड़ 10 से 15 साल में परिपक्व हो जाता है और वर्तमान दर के अनुसार, 10 लाख रुपये से 12 लाख रुपये तक बिकता है। वहीं असम से लाई गई अगरबत्ती की लकड़ी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाले बांस की एक विशेष किस्म, बम्बुसा तुलदा को महाराष्ट्र में लगाया गया है, जिसका उद्देश्य स्थानीय अगरबत्ती उद्योग को समर्थन प्रदान करना और प्रशिक्षण केंद्रों के लिए नियमित आय उत्पन्न करना है।