नई दिल्ली। तेल की कीमतों में लगातार तेजी आने और जिंसों के दाम भी बढऩे से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 10.49 फीसदी की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। थोक महंगाई में तेज उछाल की एक वजह पिछले साल अप्रैल में इसका आंकड़ा बेहद कम होना भी है। देश भर में लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान अप्रैल 2020 में थोक मुद्रास्फीति 1.57 फीसदी घटी थी।
2010 के बाद थोक महंगाई का सबसे ऊंचा आंकड़ा
थोक मुद्रास्फीति दर थोक मूल्य सूचकांक से मापी जाती है और दिसंबर से इसमें लगातार तेजी देखी जा रही है। मार्च में यह 7.39 फीसदी तक पहुंच गई थी, जो पिछले आठ साल का सबसे अधिक आंकड़ा था। अप्रैल का आंकड़ा 2010 के अप्रैल महीने के बाद थोक महंगाई का सबसे ऊंचा आंकड़ा है।
ईंधन और बिजली के दाम 20.94 फीसदी बढ़े
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में खाद्य पदार्थों के दाम 4.92 फीसदी बढ़े हैं और विनिर्मित वस्तुओं के दाम में 9.01 फीसदी की तेजी आई है। पेट्रोल और डीजल के दाम में तेजी के कारण ईंधन और बिजली के दाम 20.94 फीसदी बढ़े हैं, जिससे कुल थोक महंगाई में इजाफा हुआ है। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस (Madan Sabnavis, chief economist at CARE Ratings) ने कहा, ‘ईंधन और बिजली श्रेणी में मुद्रास्फीति बढऩे का कारण दुनिया भर में तेल की मांग बढऩे के कारण कीमत तेज होना तथा पिछली बार इनके दाम काफी कम होना है।’ इसके साथ ही धातुओं के दाम में तेजी से थोक मुद्रास्फीति में 64 फीसदी भारांश वाली विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में तेजी आई है।