दवाओं के दुष्प्रभावों का अध्ययन करने वाली संस्था फार्माकोपिया कमीशन ने 105 तरह की दवाओं को लेकर अलर्ट जारी किया है। इन दवाओं से आप किडनी लीवर और हार्ट के गंभीर मरीज बन सकते हैं। ये दवाएं ऐसी हैं जिन्हें हम सामान्यतौर पर खाते रहते हैं और डॉक्टर से कई बार पूछने की जहमत तक नहीं उठाते। फार्मा कंपनियों को भी अब सिगरेट पैकेट की तरह वैधानिक चेतावनी दवाओं के लिए भी जारी करनी पड़ सकती है।
क्या फार्मा कंपनी बिक्री बढ़ाने के लिए दवाओं के दुष्प्रभाव की जानकारी मरीजों साथ-साथ डॉक्टरों से भी छुपा रही है? यह सवाल फार्माकोपिया कमीशन की ताजा रिसर्च से खड़ा हुआ है। फार्माकोपिया कमीशन की रिसर्च में पता चला है की 50 तरह की दवाएं जिन्हें हम खुद ही खरीदकर इस्तेमाल कर लेते हैं। इनका अधिक सेवन हार्ट किडनी और लीवर की खतरनाक बीमारियों की वजह बन सकता है। इतना ही नहीं रिसर्च के मुताबिक 55 तरह की दवाइयां ऐसी भी है जिन्हें लिखते वक्त डॉक्टरों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है।
फार्माकोपिया कमीशन ने भारत के ड्रग कंट्रोलर को निर्देश दिया है कि इन सॉल्ट से दवा बनाने वाली कंपनियों को निर्देश दें कि इन दवाओं से होने वाले बुरे असर की पूरी जानकारी दवा के रैपर पर दी जाए ताकि डॉक्टर और मरीज को इसकी जानकारी पहले से हो। आइये आपको इनमें से कुछ दवाओं और उनके साइड इफेक्ट्स के बारे में बता देते हैं। इनमें एजिथ्रोमाइसिन, रैंटाडिन और डाइक्लोफिनैक जैसी दवाएं शामिल हैं जिनसे कार्डिएक अरेस्ट, आतों को नुकसान और किडनी खराब होने जैसे खतरे हैं। वहीं मेटाफार्मिन और डॉक्सिराइक्लिन जैसी दवाएं मोटापा और डिप्रेशन का कारण बन सकती हैं।
पिछले 5 सालों में इन दवाओं को लेकर मरीजों की तरफ से शिकायतों में भी लगातर इजाफा हुआ है जो 5 सालों में दोगुनी से ज्यादा बढ़ी हैं। अब कमिशन की ओर से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) को इसकी जानकारी दी जा रही है। ताकि यह जानकारी देश भर के चिकित्सकों तक पहुंचाई जा सके। आप भी अगर इन दवाओं को अपने मन से ले लेते हैं तो सावधान हो जाएं।