नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महंगाई कम करने के इरादे से बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रीपो रेट में 0.35 फीसदी की एक और बढ़ोतरी कर इसे 6.25 फीसदी कर दिया। उम्मीद के अनुरूप नीतिगत दर में वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ी है और यह रीपो दर के अपने उच्च स्तर पर पहुंच जाने का संकेत देता है।
मई के बाद लगातार पांचवीं बार रीपो दर में वृद्धि
RBI ने मई के बाद लगातार पांचवीं बार रीपो दर में वृद्धि की है। इस दौरान रीपो दर चार फीसदी से बढ़कर 6.25 फीसदी पर पहुंच चुका है। दर वृद्धि से मकान, वाहन और अन्य कर्जों की मासिक किस्त एक बार फिर बढ़ सकती है। रीपो दर वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के वृद्धि दर अनुमान को सात फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है।
6.25 फीसदी करने का निर्णय
मौद्रिक नीति समिति (monetary policy committee) की सोमवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में किये गये निर्णयों की जानकारी देते हुए RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘मौजूदा आर्थिक स्थिति पर विचार करते हुए MPC ने नीतिगत दर रीपो को 0.35 फीसदी बढ़ाकर 6.25 फीसदी करने का निर्णय किया है।’ रीपो दर में इस वृद्धि दर के साथ स्थायी जमा सुविधा (SDF) दर समायोजित होकर छह फीसदी और सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) दर तथा बैंक दर 6.50 फीसदी हो गई है। हालांकि, रीपो दर में वृद्धि की यह गति पिछली चार बार की वृद्धि के मुकाबले कम है जो कि बाजार की उम्मीदों के अनुरूप ही है।